16 Hardworking story of Great people
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"Jaha kuch kar gujarne ka junun hota he waha Zindgi raheti he."
सफ़लता के लिए हर इंसान के संघर्ष की राह अलग होती है. अपनी मज़बूरियों से एक हर इंसान जीवन भर दो-दो हाथ करता रहता है. महात्मा बुद्ध ने इंसान को अपना गुरू कह कर सारी बातों को नकार दिया था.
1. नेल्सन मंडेला (1918-2013)
विश्व में नेल्सन मंडेला को “अश्वेतों का गांधी” भी कहा जाता है. 1964 से ले कर 1990 तक जेल में बिताने वाले मंडेला को लोग “ मदीबा ” के नाम से भी जानते हैं. इन्होंने अपनी उम्र के लगभग 27 साल रंगभेद नीति के खिलाफ़ जेल में बिताये. शादी से बचने के लिए घर से भागे मंडेला जोहानिसबर्ग की खदानों में बतौर गार्ड भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा एक वकील बनने की इच्छा से चलते, देश के क़ानून का गहन अध्ययन करने के बाद वहां रंगभेद नीति से हट कर देश के पहले प्रजातांत्रिक चुनाव करवाने का श्रेय भी मंडेला को ही जाता है. 27 साल तक सलाखों ने मंडेला को तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन नेल्सन मंडेला अपने हौसले के चलते और भी ज़्यादा बुलंद होते गये.
Source: cbc
2. हेलेन केलर (1880-1968)
अपनी उम्र के दूसरे साल में आंखों से न देख पाने और कानों से न सुन पाने के बावजूद भी इन्होंने अपने लिखने और पढ़ने की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान देना शुरू किया. आख़िर में इन्हें विश्व की पहली ऐसी महिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ जो न देख पाने और न ही सुन पाने के बावजूद भी ग्रेजुएट हुईं. इन्होंने महिलाओं को मत्ताधिकार देने की पहल करने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी गहन चिंतन किया.
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3. विंस्टन चर्चिल (1874-1965)
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान विंस्टन चर्चिल इंग्लैंड के प्रधानमंत्री थे. इससे पहले वे एक इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे. जर्मनी जैसे देश के तानाशाह हिटलर के खौफ़ से जब पूरा विश्व खौफ़जदा हो गया था, तो विंस्टन ने ही अपनी सेना को कड़े निर्देष दिए थे. हालांकि इससे पहले शांति प्रस्ताव के लिए भी वो कई बार हाथ आगे बढ़ा चुके थे, लेकिन जब घी सीधी उंगली से नहीं निकला तो उंगली को थोड़ा टेढ़ा करना ही उन्होंने उचित समझा. इससे पहले चर्चिल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी सेना में अपनी भागीदारी दे चुके थे.
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4. डा. भीम राव अंबेडकर (1891-1956)
भारत को संविधान देने वाले महान नेता डा. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे। बचपन में भीमराव अंबेडकर (Dr.B R Ambedkar) के परिवार के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था।भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे। बचपन में भीमराव अंबेडकर (Dr.B R Ambedkar) के परिवार के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था।अपने विवादास्पद विचारों, और गांधी और कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद अंबेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, 15 अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो उसने अंबेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया .किन्तु इन सारी समस्याओ के बावजूद भी उन्होंने इस भारत देश का सनविधान लिख दिया और समग्र विश्व में अपना और अपने देश का नाम रोशन कर दिया.
Source: biography
5. मैडम क्यूरी (1867-1934)
मैडम क्यूरी एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्हें विज्ञान के दो क्षेत्रों, भौतिकी और चिकित्सा विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जिस उम्र में अमूमन लड़कियां पढ़ाई कर रही होती हैं, उस दौर में मैडम क्यूरी गहन अध्ययन कर रही थीं. अपनी सारी सुख-सुविधायें त्याग कर वो अपना समय अध्ययन में ही लगा देती थीं. इनके प्रयोगों से चिकित्सा और भौतिकी के क्षेत्र में कई आयाम जुड़े हैं.
Source: biography
6. स्टीफ़न विलियम हॉकिंग
स्टीफ़न बिट्रेन के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और बह्माण्ड विज्ञानी हैं. एक लेखक होने के साथ-साथ कैम्बिज्र विश्वविद्यालय के (Centre for Theoretical Cosmology) शोध निर्देशक भी हैं. गौरतलब है कि इन्हें Motor Neurone Disease है जिसके कारण हॉकिंग चल नहीं पाते. इससे इनकी शारीरिक क्रियायें काफ़ी प्रभावित हुई हैं लेकिन मानसिक तौर से बिलकुल स्वस्थ हैं. इतनी दिक्कतों के बाद भी हॉकिंग युवा पीढ़ी के लिए प्ररेणासोत्र हैं.
Source: kohraam
7. Rosa Parks
इन्हें विश्व “First Lady Of Civil War” और “The Mother of the Freedom Movement" की वजह से भी जाना जाता है. जिस दौर में इनका जन्म हुआ उस दौर में रंगभेदी सोच अपने चरम पर थी. यहां तक कि बसों में भी गोरों को अपनी सीट दी जाती थी, लेकिन एक दिन रोसा ने इस सोच को दरकिनार करते हुए सबके समान हक की बात करने की पहल की और अपनी सीट देने से मना कर दिया. बसों का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया जो बाद में एक आंदोलन का रूप ले चुका था. कहीं न कहीं समान हक की बातें सार्थक साबित होने लगीं.
Source: biography
8. Catherine The Great (1729-1796)
इनका जन्म जर्मनी में हुआ था, और शादी रूस के एक शाही परिवार में हुई. रूस में इतने बड़े साम्राज्य को संभालने वाली ये एक प्रभावित महिला साबित हुईं. इन्होंने रूस के हालातों को सुधारने व सुधार करने के बाद उन्हें बरकरार रखने तक के लिए लोगों को प्रेरित किया.
Source: novorossia
9. Olaudah Equiano (1745-1797)
आज भी Olaudah Equiano अफ्रीका के सबसे प्रसिद्ध लेखकों की फ़ेहरिस्त पर शीर्ष स्थान पर हैं. 11 साल की उम्र में इन्हें गुलाम बना कर अमेरिका भेज दिया गया था. आज़ाद होने के बाद इन्होंने अपने दम पर बिट्रेन की नागरिकता ली और फ़िर अपने अनुभवों को “The Interesting Narrative of the Life of Olaudah Equiano” नाम की किताब में लिखा जो बाद में बदलाव के लिए एक उम्दा दस्तावेज साबित हुआ.
Source: ushistoryscene
10. Beethoven
संगीत के क्षेत्र में एक ऐसा नाम जिसके बिना संगीत अधूरा है. इनका पूरा नाम Ludwig Van Beethoven था. पिआनो के साथ-साथ संगीत के अन्य माध्यमों में भी इन्होंने कुछ ऐसी धुनें ईज़ाद की हैं, जिनके बारे में शायद ही कोई सोच पाये.
Source: wikipedia
11. Pope John Paul-II (1920-2005)
नाज़ी तानाशाही ताकत ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पॉलैंड पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था. उस दौर में अधिनायकवादी सोच का बोल-बोला था और उसी दौर में Pope John Paul-II पॉलैंड के पहले पोप बने थे. और इतिहास बताता है कि यह सबसे प्रभावी पोप में से एक रहे हैं.
Source: fromtheheartofmary
12. थॉमस एल्वा एडिसन
विश्व में अपने प्रयोग से रोशनी देने वाले एल्वा एडिसन ने अपने बॉस के डेस्क पर एक रासायनिक प्रयोग कर दिया था जिसके चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था. इसके बाद एडिसन को काफ़ी समय तक मुफ़लिसी के दौर में जीवनयापन करना पड़ा.
Source: hippowallpapers
13. Jesse Owens
अपने देश में ही इन्हें रंगभेद की कुनीति को झेलना पड़ा. 1936 में इन्होंने बर्लिन ओल्मिपक में 100 मीटर की रेस जीतने के साथ-साथ चार स्वर्ण पदक जीते, एवं यह साबित कर दिया कि जीत कभी छोटी सोच की मोहताज नहीं होती.
Source: whitehousepost
14. J.K Rowling
इनके उपन्यास को दुनिया भर के बच्चों ने हाथों-हाथ लिया लेकिन आपको ये जान कर हैरानी होगी कि हैरी पॉटर की पांडुलिपि रोलिंग कई बार कई प्रकाशकों के पास ले कर गई थी, पर कोई भी इसे प्रकाशित नहीं करना चाहता था. रोलिंग ने हार नहीं मानी व लगातार अलग-अलग प्रकाशकों के पास इसे ले जाती रही. और आख़िर प्रकाशित होने के बाद हैरी पॉटर ने जो प्रसिद्धी हासिल की है, वो तो आप सब जानते ही हैं.
Source: telegraph
15. Florence Nightingale (1820-1910)
क्रीमिया में फैली महामारी के दौरान फ्लोरेंस ने वहां जा कर रोगियों की मदद करने में अपना अदद योगदान दिया था. इन्होंने अपने काम से नर्स के पेशे में चलते आ रहे ट्रेंड को नैतिकता से जोड़ने की ओर संदेश दिया.
Source: wikipedia
16. मलाला यूसुफ़जई
तालिबान की लाख धमकियों के बाद भी मलाला ने शिक्षा के अधिकार को पाकिस्तान के आम जन तक पहुंचाने की पहल निडरता से की. महिला के अधिकारों के पक्षधर होने के साथ-साथ आतंकवादियों की बात को नकारने के चलते मलाला को गोली मार दी गई थी, लेकिन लाखों दिलों की दुआंओं ने इन्हें बचा लिया. फ़िलहाल भी समाज सेवा को ले कर ये सक्रिय हैं.
Source: communitytable
तो देखा आपने... इन लोगों ने कितनी दिक्कतें, ज़िल्लतें और ठोकरों के बाद जा कर महान होने का दर्जा पाया है. हालांकि हमने किसी को महान शख़्सियत का दर्जा नहीं दिया लेकिन उनका काम है जो बोलता ही चला आ रहा है.
ज़िंदगी का सफ़र बहुत सी राहों से हो कर गुज़रता है, कहीं दर्द से वास्ता होता है, तो कहीं मुस्कान मिल जाती है. लेकिन सब कुछ एक निश्चित समय के बाद ही होता है.
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CREATED BY - HARDIK
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hardik |
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