Friday, 27 January 2017

60 साल बाद फिर से नापी जाएगी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई

दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 60 साल बाद फिर नापी जाएगी


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दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 60 साल बाद फिर नापी जाएगी। 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद वैज्ञानिकों ने एवरेस्ट की ऊंचाई कम होने का अंदेशा जताया था। इसकी सच्चाई पता लगाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया दो महीने में अपना अभियान दल नेपाल भेजेगा। यह एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर मौजूदा ऊंचाई का पता लगाएगा।
भारतीय सर्वेक्षण विभाग का एक दल इस अभियान के लिए दो महीने में नेपाल के लिए रवाना होगा। यह अभियान ऐसे समय चलाया जा रहा है जब माउंट एवरेस्ट की उंचाई को लेकर वैज्ञानिक समुदाय की ओर से शंकाएं व्यक्त की गई हैं। माउंट एवरेस्ट की आधिकारिक रूप से उंचाई समुद्र स्तर से 8848 मीटर उपर है।


भारतीय सर्वेक्षण विभाग के महा सर्वेक्षक स्वर्ण सुब्बा राव ने आज यहां कहा कि इस परियोजना के लिए जरूरी मंजूरी ले ली गई है और इससे भविष्य के वैज्ञानिक अध्ययनों में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, हम एक अभियान दल को माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना कर रहे हैं। एवरेस्ट की उंचाई की घोषणा, अगर मैं गलत नहीं हूं तो 1855 में की गई थी। कइयों के द्वारा इसकी उंचाई नापी गई लेकिन भारतीय सर्वेक्षण विभाग की माप को आज भी सही उंचाईं माना जाता है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अनुसार एवरेस्ट की उंचाई 29,028 फुट है, हम इसे दोबारा नापने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल में दो साल पहले भीषण भूकंप आया था, इसके बाद से ही वैज्ञानिक समुदाय को शक है कि एवरेस्ट सिकुड़ रहा है, दोबारा नाप कराने का यह एक कारण है। इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि यह वैज्ञानिक अध्ययन और प्लेट की गति को समझने में सहायता करता है। राव ने एक कार्यक्रम से इतर कहा कि इसके लिए आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है और यह अभियान एक माह में शुरू हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार माउंट एवपरेस्ट की उंचाई दो तरीकों ‘ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम’ और जमीनी पद्धति से नापने की योजना है।


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