Wednesday 1 March 2017

Latest Story of Bhavnagar King

Bhavnagar ke raja ki Udarta ki kahani


King Of Compassion Hindi Story
भावनगर के राजा एक बार गर्मियों के दिनों में अपने आम के बागों में आराम कर रहे थे और वह बहुत ही खुश थे की उनके बागों में बहुत अच्छे आम लगे थे और ऐसे ही वो अपने खयालों में खोये हुए थे 
तब वहाँ से एक ग़रीब किसान गुज़र रहा था और वह बहुत भूखा था, उसका परिवार पिछले दो दिन से भूखा था तो उसने देखा की क्या मस्त आम लगे है अगर मैं यहाँ से कुछ आम तोड़ कर ले जाऊँ तो मेरे परिवार के खाने का बंदोबस्त हो जाएगा 
यह सोच कर वह उस बाग़ में घुस गया उसे पता नहीं था की इस बाग़ में भावनगर के राजा आराम कर रहे हैं वो तो चोरी छुपे घुसते ही एक पत्थर उठा कर आम के पेड़ पे लगा दिया और वह पत्थर आम के पेड़ से टकराकर सीधा राजाजी के सर पे लगा 
राजाजी का पूरा सर खून से लत पथ हो गया और वो अचानक हुए हमले से अचंभित थे और उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा था की आखिर उनपर हमला किसने किया 
राजा ने अपने सिपाहियों को आवाज़ दी तो सारे सिपाही दोड़े चले आयें और राजाजी का यह हाल देख उन्हें लगा की किसी ने राजाजी पे हमला किया है तो वह बागीचे के चारों तरफ आरोपी को ढूढ़ने लगे 
इस शोर शराबे को देखकर ग़रीब किसान समझ गया की कुछ गड़बड़ हो गई वो डर के मारे भागने लगा, सिपाहियों ने जैसे ही इस ग़रीब किसान को भागते देखा तो वह सब भी उसके पीछे भागने लगे और उसे दबोच लिया 
इस ग़रीब किसान को सिपाहियों ने पकड़कर कारागार में दाल दिया और उसको दूसरे दिन दरबार में पेश किया, दरबार पूरा भरा हुआ था और सबको यह मालूम हो चुका था की इस इंसान ने राजाजी को पत्थर मार था, सब बहुत गुस्से में थे और सोच रहे थे की इस गुनाह के लिए उसे मृत्युदंड मिलना चाहिए 
सिपाहियों ने इस ग़रीब किसान को दरबार में पेश किया और राजा ने उससे सवाल किया की तू ने मुझ पर हमला क्यों किया?
ग़रीब किसान डरते डरते बोला माई बाप मैंने आप पर हमला नहीं किया है मैं तो सिर्फ आम लेने आया था  मैं और मेरा परिवार पिछले दो दिनों से भूखे थे इस लिए मुझे लगा की अगर यहाँ से कुछ फल मिल जाए तो मेरे परिवार की भूख मिट सकेगी 
यह सोचकर मैंने वह पत्थर आम के पेड़ को मार था मुझे पता नहीं था की आप उस पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे और वह पत्थर आपको लग गया ।
यह सुनकर सभी दरबारी बोलने लगे अरे मूर्ख तुझे पता है तू ने कितनी बड़ी भूल करी है तू ने इतने बड़े राजा के सर पे पत्थर मारा है अब देख क्या हाल होता है तेरा ।
राजाजी ने सभी दरबारीयों को शांत रहने को कहा और वह बोले भला अगर एक पेड़ को कोई पत्थर मरता है और वह फल दे सकता है तो मैं तो भावनगर का राजा हूँ मैं इसे दंड कैसे दे सकता हूँ ।
अगर एक पेड़ पत्थर खाकर कुछ देता है तो मैंने भी पत्थर खाया है तो मेरा भी फ़र्ज़ है की मैं भी इस ग़रीब इंसान को कुछ दूँ और उन्होंने अपने मंत्री को आदेश दिया की जाओ और हमारे अनाज के भंडार से इस इंसान को पूरे एक साल का अनाज दे दो ।
यह फैसला सुनकर सभी दरबारी चकित हो उठे, उन्हें तो लग रहा था की इसे दंड मिलेगा लेकिन राजाजी की दया (Compassion), प्रेम और न्याय देखकर सभी दरबारी राजाजी के प्रशंसक बन गए ।
वह ग़रीब किसान भी राजाजी की दया और उदारता देख अपने आंसू नहीं रोक पाया और भावनात्मक हो कर राजाजी के सामने झुक कर कहने लगा धन्यभाग है इस भावनगर के जिसे इतना परोपकारी, दयालु राजा मिला और पूरे दरबार में राजा का जय कार नाद गूँजने लगा ।
यह एक सत्य घटना है और यह कहानी मैंने अपने दादाजी से सुनी है यह कहानी दया, प्रेम और परोपकार की भावना को बयान करती है ।
कैसे होंगे वो राजा जिन्होंने पत्थर खाकर भी एक ग़रीब व्यक्ति की पीड़ा, व्यथा समझ पाए, उसके दर्द को जी पाए और उसकी मदद कर पाए । धन्य है वह राजाजी जिन्होंने दया (Compassion), प्रेम (Love) और उदारता (Generosity) के साथ न्याय किया और दया का एक अनोखा प्रतीक पेश किया ।
आज के इस Gentel Man युग मैं हम सब विकसित तो हो गए, हम सब कहने को तो बुद्धिमान भी बन गए, हमने संसाधन भी इकट्ठा कर लिए लेकिन अगर हमारे अंदर वह राजाजी जैसे भाव नहीं है दया (Compassion) नहीं है प्रेम नहीं है फिर तो यह सब बेकार का है इस भाव के बिना हम आज भी जंगली जानवर के समान है ।
हम ऐसे महान दयावान राजा को तहे दिल से प्रणाम करते है और सभी लोगों से भावभीनी अपील करते है की अपने दिल में  दया, प्रेम और परोपकार की भावना जगाए रखे और सही अर्थों में सफल मानव बने ।

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BY – HARDIK.PARMAR 
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