Aacharya Chanakya ke anmol vichar
Chanakya’s Quote
आचार्य चाणक्य भारत के इतिहास में बहुत ही
प्रसिद्द हे और कूटनीति और राजनीती के लिए जाने जाते हे | आज की भारत की राजनीती
भी चाणक्य से ही प्रेरित हे और आचार्य चाणक्य के कुछ विचार आज भी हमें बहुत उपयोगी
होते हे | तो चलिए ऐसे ही कुछ विचार देखते हे ||
★●▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●★
★☆●BY – HARDIK.PARMAR ●☆★
★●▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●★
1. जीवन
का सुख अच्छे और भाग्यशाली लोगो को ही प्राप्त होता हे |
अगर आपको 3 वक़्त का खाना और जीवन के लिये
उपयोगी और अच्छी चीज प्राप्त होती हे तो आप सुखी और भाग्यशाली हे क्युकी सब लोगो
ये चीजे प्राप्त नहीं होती हे और इसके लिए आपको भगवन का आभार मानना चाहिए |
2. जीवन में सभी रिस्तो में लोग अपनी अपनी फरज
और कर्तव्य से बंधे हुइ हे |
जैसे की पुत्र वही हे जो पिता का भक्त हो, पिता
वही हे जो पोशक हो (अपनी Family को सुखी रख सके)
मित्र वही हे जो विश्वास के लायक हो, पत्नी वही
हे जो आपके दिल को सुख दे सके |
अगर आपको यह सभी प्राप्त हे तो आप सुखी हे |
3. ख़राब मित्रो (Friened) का तुरंत त्याग करे |
चाणक्य का कहेना हे की जो आपकी पीठ के पीछे
रहेकर आपका बुरा करने वाला और आपके सामने अच्छी बाते करने वाले मित्रो का तुरंत
त्याग करे | क्युकी ऐसे मित्र को आपके पास रखे गये दूध के जहरीले प्याले (Glass)
जैसा समजकर दूर कर देना चाहिए |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की कभी भी पापी और
अधम मित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और किसी भी मित्र पर पूर्ण रूप से विश्वास
नहीं करना चाहिए क्यूंकि कभी कभी गुस्सा और क्रोध आने पर आपका खास और परम मित्र भी
आपकी गुप्त बाते सभी लोगो को बता सकता हे |
4. हमेसा अपने मन के सारे भाव गुप्त रखे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की मन में विचार
करके रखे गए कार्यो के बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहिए | और हमें वो कार्य
गुप्त रखके ही करना चाहिए वक़्त आने पर सब को अपने आप ही उस के बारे में पता चल
जायेगा |
5. ज्यादा लोभ बहुत ही खतरनाक हे |
आचार्य चाणक्य कुछ परिस्तितयो को छोड़ने की बात
करते हे | आचार्य चाणक्य बताते हे की प्रियतमा का अपनी पत्नी से वियोग, अपने खुद
के ही लोगो से अपमानित होना, किसीका कर्ज नहीं चूका सकना, अधम राजा की सेवा ऐसी
बाते बिना आग के ही सरीर को जला देती हे |
6. कुछ चीजो का और लोगो का जल्दी हे विनाश
क्यों हो जाता हे ?
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की जल्दी बहेने वाली
नदी के किनारे उगे गए वृक्ष, दुसरो के घर में रहेनेवाली स्त्री, बिना मंत्रियो
वाला राजा – ये सब बहुत ही जल्दी वीनास हो जाते हे |
7. दुनिया का नियम हे की कुछ चीज प्राप्त होने
के बाद कुछ लोगो का साथ छोड़ देना चाहिए |
आचार्य चाणक्य कहेते हे की प्रजा बिना शक्ति
वाले राजा को, पक्षी बिना फलवाले वृक्ष को और महेमान भोजन करने के बाद अतिथि के घर
को छोड़ देता हे | इसी प्रकार हमें भी कुछ चीजो को काम ख़तम hone पर छोड़ देना चाहिए
|
8. लोग अपने रूप से नहीं लेकिन गुण से जाने
जाते हे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की हमेसा ही लोगो का
अच्छा रूप देख कर उनकी और आकर्षित नहीं होना चाहिए | किसी के रूप से जयादा उसके
गुण और उसकी अच्छी बाते को महत्त्व देना चाहिए |
9. कभी कभी कुछ चीजो का त्याग करना भी लाभदायक
होता हे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की व्यक्ति को अपने
परिवार के लिए एक बुरे व्यक्ति का त्याग करना चाहिए | गाव के लिए परिवार का त्याग
करना चाहिए | राज्य के लिए गाव का त्याग
करना चाहिए | और अपनी खुद की रक्षा के लिए संसार का भी त्याग कर देना चाहिए |
10. कुछ परिस्तियो में अकेले और कुछ में लोगो
के साथ रहेना चाहिए |
आचार्य चाणक्य कहेते हे की तप करते वक़्त अकेले
रहेना जरुरी हे | पढाई करते वक़्त दो, गेट वक़्त तिन, कही जाते समय चार, खेत में
पांच और युद्ध में जयादा से जयादा लोग होने चाहिए |
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आचार्य चाणक्य भारत के इतिहास में बहुत ही
प्रसिद्द हे और कूटनीति और राजनीती के लिए जाने जाते हे | आज की भारत की राजनीती
भी चाणक्य से ही प्रेरित हे और आचार्य चाणक्य के कुछ विचार आज भी हमें बहुत उपयोगी
होते हे | तो चलिए ऐसे ही कुछ विचार देखते हे ||
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1. जीवन
का सुख अच्छे और भाग्यशाली लोगो को ही प्राप्त होता हे |
अगर आपको 3 वक़्त का खाना और जीवन के लिये
उपयोगी और अच्छी चीज प्राप्त होती हे तो आप सुखी और भाग्यशाली हे क्युकी सब लोगो
ये चीजे प्राप्त नहीं होती हे और इसके लिए आपको भगवन का आभार मानना चाहिए |
2. जीवन में सभी रिस्तो में लोग अपनी अपनी फरज
और कर्तव्य से बंधे हुइ हे |
जैसे की पुत्र वही हे जो पिता का भक्त हो, पिता
वही हे जो पोशक हो (अपनी Family को सुखी रख सके)
मित्र वही हे जो विश्वास के लायक हो, पत्नी वही
हे जो आपके दिल को सुख दे सके |
अगर आपको यह सभी प्राप्त हे तो आप सुखी हे |
3. ख़राब मित्रो (Friened) का तुरंत त्याग करे |
चाणक्य का कहेना हे की जो आपकी पीठ के पीछे
रहेकर आपका बुरा करने वाला और आपके सामने अच्छी बाते करने वाले मित्रो का तुरंत
त्याग करे | क्युकी ऐसे मित्र को आपके पास रखे गये दूध के जहरीले प्याले (Glass)
जैसा समजकर दूर कर देना चाहिए |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की कभी भी पापी और
अधम मित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और किसी भी मित्र पर पूर्ण रूप से विश्वास
नहीं करना चाहिए क्यूंकि कभी कभी गुस्सा और क्रोध आने पर आपका खास और परम मित्र भी
आपकी गुप्त बाते सभी लोगो को बता सकता हे |
4. हमेसा अपने मन के सारे भाव गुप्त रखे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की मन में विचार
करके रखे गए कार्यो के बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहिए | और हमें वो कार्य
गुप्त रखके ही करना चाहिए वक़्त आने पर सब को अपने आप ही उस के बारे में पता चल
जायेगा |
5. ज्यादा लोभ बहुत ही खतरनाक हे |
आचार्य चाणक्य कुछ परिस्तितयो को छोड़ने की बात
करते हे | आचार्य चाणक्य बताते हे की प्रियतमा का अपनी पत्नी से वियोग, अपने खुद
के ही लोगो से अपमानित होना, किसीका कर्ज नहीं चूका सकना, अधम राजा की सेवा ऐसी
बाते बिना आग के ही सरीर को जला देती हे |
6. कुछ चीजो का और लोगो का जल्दी हे विनाश
क्यों हो जाता हे ?
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की जल्दी बहेने वाली
नदी के किनारे उगे गए वृक्ष, दुसरो के घर में रहेनेवाली स्त्री, बिना मंत्रियो
वाला राजा – ये सब बहुत ही जल्दी वीनास हो जाते हे |
7. दुनिया का नियम हे की कुछ चीज प्राप्त होने
के बाद कुछ लोगो का साथ छोड़ देना चाहिए |
आचार्य चाणक्य कहेते हे की प्रजा बिना शक्ति
वाले राजा को, पक्षी बिना फलवाले वृक्ष को और महेमान भोजन करने के बाद अतिथि के घर
को छोड़ देता हे | इसी प्रकार हमें भी कुछ चीजो को काम ख़तम hone पर छोड़ देना चाहिए
|
8. लोग अपने रूप से नहीं लेकिन गुण से जाने
जाते हे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की हमेसा ही लोगो का
अच्छा रूप देख कर उनकी और आकर्षित नहीं होना चाहिए | किसी के रूप से जयादा उसके
गुण और उसकी अच्छी बाते को महत्त्व देना चाहिए |
9. कभी कभी कुछ चीजो का त्याग करना भी लाभदायक
होता हे |
आचार्य चाणक्य का कहेना हे की व्यक्ति को अपने
परिवार के लिए एक बुरे व्यक्ति का त्याग करना चाहिए | गाव के लिए परिवार का त्याग
करना चाहिए | राज्य के लिए गाव का त्याग
करना चाहिए | और अपनी खुद की रक्षा के लिए संसार का भी त्याग कर देना चाहिए |
10. कुछ परिस्तियो में अकेले और कुछ में लोगो
के साथ रहेना चाहिए |
आचार्य चाणक्य कहेते हे की तप करते वक़्त अकेले
रहेना जरुरी हे | पढाई करते वक़्त दो, गेट वक़्त तिन, कही जाते समय चार, खेत में
पांच और युद्ध में जयादा से जयादा लोग होने चाहिए |
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