CHANAKYA NITI
VIDYARTHI KO YE 8 KAAM NAHI KARNE CHAHIYE
[STUDENT MUST NOT DONE THIS 8 WORK]
KISI BHI VYAKTI KE JIVAN ME USKI SIKSHA (EDUCATION) KA BADA HI MAHATVPURNA YOGDAN HOTA HE. USKO BACHPAN OR SCHOOL ME DI GAYI SIKSHA HI YAH TAY KARTI HE KI WO KIS PRAKAR KA INSAN BANEGA
अच्छी शिक्षा ही अच्छा भविष्य बना सकती है। इसी वजह से पढ़ाई के दिनों में छात्र-छात्राओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इन दिनों में यदि कोई विद्यार्थी रास्ता भटक जाता है तो उसका पूरा जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। आचार्य चाणक्य द्वारा विद्यार्थियों के लिए आठ काम ऐसे बताए गए हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
इस दोहे में आचार्यजी ने 8 ऐसी बातें बताई हैं जिनसे विद्यार्थियों को हमेशा दूर ही रहना चाहिए। पढ़ाई के दिनों में बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी समय पर हमारा भविष्य टीका होता है। जरा सी लापरवाही कई प्रकार की परेशानियों को जन्म दे सकती है। आइये जानते है क्या है वो आठ काम -
1. कामवासना
KAAMVASNA
2. क्रोध
KRODH(ANGER)
क्रोध यानी गुस्से को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है। क्रोध वश व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। अत: विद्यार्थी को इससे भी बचना चाहिए।
3. लालच
LALCH(GREED)
लालच को सबसे बुरी बला माना जाता है। अत: विद्यार्थियों को किसी भी बात के लिए लालच नहीं करना चाहिए।
4. स्वाद
SWAD (TASTE)
स्वादिष्ट भोजन का लोभ छोड़कर संतुलित आहार लेने वाले विद्यार्थियों को हमेशा ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होते हैं।
स्वादिष्ट भोजन का लोभ छोड़कर संतुलित आहार लेने वाले विद्यार्थियों को हमेशा ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होते हैं।
5. श्रृंगार
SHRUNGAS (MAKE UP)
आवश्यकता से अधिक साज-सज्जा, शृंगार करने वाले विद्यार्थियों का मन भी अध्ययन की ओर नहीं रहता है। ऐसे में वे श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
आवश्यकता से अधिक साज-सज्जा, शृंगार करने वाले विद्यार्थियों का मन भी अध्ययन की ओर नहीं रहता है। ऐसे में वे श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
6. मनोरंजन
MANORANJAN (ENTERTAINMENT)
विद्यार्थियों के लिए आवश्यकता से अधिक खेल-तमाशे भी नुकसानदायक हो सकते हैं। अत: इनसे भी बचना चाहिए। खेल, तमाशे यानी आज के दौर में टीवी, फिल्म आदि से दूर रहने पर सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
विद्यार्थियों के लिए आवश्यकता से अधिक खेल-तमाशे भी नुकसानदायक हो सकते हैं। अत: इनसे भी बचना चाहिए। खेल, तमाशे यानी आज के दौर में टीवी, फिल्म आदि से दूर रहने पर सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
7. नींद
NIND (SLEEP)
स्वस्थ शरीर के लिए 6 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। इससे अधिक नींद लेने वाले विद्यार्थियों को समय अभाव और आलस्य जैसी कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
स्वस्थ शरीर के लिए 6 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। इससे अधिक नींद लेने वाले विद्यार्थियों को समय अभाव और आलस्य जैसी कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
8. सेवा
SEWA (SERVICE)
यदि कोई विद्यार्थी किसी इंसान की सेवा में ज्यादा समय देता है तो वह ठीक से अध्ययन नहीं कर सकता है। अत: इस बात से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए।
यदि कोई विद्यार्थी किसी इंसान की सेवा में ज्यादा समय देता है तो वह ठीक से अध्ययन नहीं कर सकता है। अत: इस बात से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए।
कौन थे आचार्य चाणक्य
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
BY - HARDIK PARMAR
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